धारणाएं तोड़ने, छोटे कदम उठाने से मिली तापसी को कामयाबी, बोलीं- अकेले अपनी राह खोजी

 तापसी पन्नू 2013 में साउथ इंडियन सिनेमा से बॉलीवुड में आईं और उनकी पहली हिंदी फिल्म 'चश्म-ए-बद्दूर' सुपरहिट रही। इसके बाद से हिंदी सिनेमा में उनकी सक्सेसफुल पारी जारी है। तापसी की मानें तो हर इंसान को कई स्तरों पर संघर्ष करना पड़ता है और उन्होंने भी किया है। लेकिन उनका संघर्ष रूढ़ियों, परिस्थितियों से नहीं, मानसिक स्तर पर रहा। तापसी के मुताबिक, उनकी आदत है कि जिस बात से उन्हें डर लगता है, वह वो जरूर करती हैं। 






तापसी की जुबानी उनके संघर्ष की कहानी

  1. हर व्यक्ति के जीवन में संघर्ष होता है। समाज की रूढ़ियों से संघर्ष, खुद के भीतर बने मेंटल ब्लॉक से संघर्ष, परिस्थितियों से संघर्ष, घर-परिवार की परम्पराओं-धारणाओं से संघर्ष। मेरा मानना है कि संघर्ष भौतिक स्तर पर ही नहीं होता और कई बार आस-पास की भौतिक परिस्थितियों को मात देकर सफलता प्राप्त करना उतना कठिन नहीं होता, जितना मानसिक स्तर पर साहस दिखाना। मुझे इसी स्तर पर संघर्ष का सामना करना पड़ा है। 
  2. तापसी पन्नू।
    सातवीं-आठवीं क्लास तक गणित अच्छा नहीं लगता था, लेकिन पिताजी ने कहा कि गणित से प्यार करना सीख लो, क्योंकि गणित ज़िंदगी भर तुमसे चिपका रहेगा। मैंने गणित को समझना शुरू किया। फिर तो यह मेरा पसंदीदा विषय बन गया। जबकि हमारे दिमाग में यह बात बैठी हुई है कि लड़कियां गणित नहीं पढ़ सकती। मेरी आदत रही है कि मुझे जिस चीज़ से डर लगे या मना किया जाए मैं वो ज़रूर करती हूं। तो पहला संघर्ष धारणा से और पहली जीत भी उसी पर।
  3. मुझे याद है, मुझे व मेरी बहन को शाम को घर से बाहर नहीं निकलने दिया जाता था। मुझे लगता था कि आखिर मैंने क्या गुनाह किया है कि मुझे घर से नहीं निकलने दिया जाता। जहां शाम को मुझे घर से निकलने नहीं दिया जाता था वहीं 21 साल की उम्र मुझे अकेले दिल्ली से बाहर हैदराबाद जाना पड़ा और मैं गई। मुझे एक फिल्म मिली थी। वहां मैंने अकेले कमरा ढूंढ़ा, सामान खरीदा, घर का सामान जुटाया। यह थी दूसरी धारणा पर जीत। 
    तापसी पन्नू।

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